समसामयिक समस्याएँ और प्राणायाम

Authors

  • विरेन्द्र कुमार सहायक प्राध्यापक, योग विज्ञान , चै. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जीन्द।
  • गरिमा एम॰ए॰ योग द्वितीय वर्ष , चै. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जीन्द।

Keywords:

प्राण, शक्ति

Abstract

प्राण हमारी जीवनी शक्ति है। इसका विस्तार एवं नियमन करना ही प्राणायाम है। मनुष्य को प्रत्येक कार्य करने के लिए शक्ति की आवश्यकता हैं। आधुनिक युग में अधिकतर मनुष्य के पास शक्ति की कमी है। वह लगातार बहुत घण्टों तक मानसिक व शारीरिक कार्य करता है। यदि वह प्राणायाम करें तो इससे उसके शरीर के अन्दर अपार शक्ति एवं सामथ्र्य आ जाता हैं। प्राणायाम के अभ्यास से हमारा शरीर ऊर्जावान रहता है और चिŸा निर्मल रहता हैं। यदि मनुष्य नियमित दिनचर्या बनाए तो उसके पास नकारात्मक बातें सोचने के लिए समय हीे नहीं रहेगा। तलाक, आत्महत्या, बलात्कार, यौन-शोषण आदि समस्याएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जो कि सभ्य समाज के लिए एक कलंक हैं। इन समस्याओं के निराकरण के लिए हमें महर्षि पतंजलि द्वारा वर्णित अष्टांग योग के चैथे आयाम-प्राणायाम को जीवन में अपनाते है तो आधुनिक सामाजिक समस्याओं को पूर्णतः समाप्त किया जा सकता है और वैदिक सारवाणी’’ सर्वेभवन्तु सुखिनः सर्वेसन्तुनिरामयाः’’ अर्थात् सभी जन सुखी व निरोग हो को सार्थक सिद्ध किया जा सकता हैं।

References

यदा संहारते चायं कुर्मोडड्गानीव सर्वशः।

इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।

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हृदि प्राणो वसेत्रित्यमानो गुदमण्डले।

समानो नाभिदेशे तु उदानः कण्ठमध्यतः।।

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अपाने जुहति प्राणं प्राणेडयानं तथापरे।

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हिरदै में अस्थान है, प्राणवायु का जान।

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Published

2018-12-30

How to Cite

कुमार व., & गरिमा. (2018). समसामयिक समस्याएँ और प्राणायाम. Innovative Research Thoughts, 4(7), 35–40. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/962