चित्त को वश में करने के चिए प्राणायाम की उपादेयता

Authors

  • जयपाि स िंह राजपूत हायक प्राध्यापक, योग चवज्ञान, िौ० रणबीर स िंह चवश्वचवद्यािय (जीन्द)
  • राखी एम.ए. योग चितीय वर्ष, िौ० रणबीर स िंह चवश्वचवद्यािय (जीन्द)

Keywords:

योग, योगाभ्या

Abstract

योग मन को शािंचत एविं शरीर को फुती प्रदान करने वािी क्रिया हैं, चज े शरीर, मन और मचततष्क को पूणष रूप े तवतथ रखा जा कता हैं | आज वर्ष के ब े बड़े क्रदन को अिंतराषष्ट्रीय योग क्रदव के रूप में मनाया जाता हैं | हमें भारतीयता पर गवष होना िाचहए, क्योंक्रक योग मूितः भारत की ही देन हैं | भारत में ही अध्यात्म की राह पर ििकर योग िारा शारीररक और मानच क चवकारों े मुचि प्राप्त करने हेतु मागषदशषन प्रदान क्रकया गया | योग का अथष होता है, जोड़ना एविं माधी, जब तक हम तवयिं े नहीं जुड़ते हैं, तब तक माधी तक नही पिंहुिा जा कता है और माधी तक पहुुँिने पर ही परमात्मा े चमिन िंभव हैं | प्रािीन काि में गुरुओं िारा योग की कई पद्धाचतयाुँ तवयिं के अनुभवों े शुरू की गई , चजनका उपयोग आज भी मन के चवकारों एविं शारीररक कष्टों े मुचि पाने के चिए क्रकया जा रहा हैं।

References

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Published

2018-12-30

How to Cite

राजपूत ज. स. ि., & राखी. (2018). चित्त को वश में करने के चिए प्राणायाम की उपादेयता. Innovative Research Thoughts, 4(7), 16–19. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/958