मानसिक रोगों में प्राणायाम की उपयोगिता

Authors

  • श्री विरेन्द्र कुमार सहायक प्राध्यापक, योग विज्ञान , चै. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जीन्द।
  • सरिता एम॰ए॰योग द्वितीय वर्ष , चै.रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जीन्द।

Keywords:

सामाजिक, अभियान्त्रिकी

Abstract

21वीं सदी में मनुष्य ने अनगिनत शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याओं के साथ प्रवेश किया है। अभियान्त्रिकी, सूचना प्रौद्योगिकी आदि के विकास से हम विकसित हो रहे हैं पर इन सबके बावजूद मानव जीवन पहले की अपेक्षा अधिक तनाव ग्रस्त व विषादपूर्ण हो गया है। आज सबके जीवन में एक तरह की अस्त व्यस्तता नजर आती है सबमें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है, एक-दूसरे की नकल करने की चाहत बढ़ रही है और आधुनिक युग में बढ़ रही भोगवादी संस्कृति का प्रभाव है। लोगों की जीवन शैली दिन-प्रतिदिन विकृत होती जा रही है, उनके चिन्तन स्तर में लगातार गिरावट आ रही है फलस्वरूप शारीरिक, मानसिक विकृतियों का भी हमारे जीवन में प्रवेश हो रहा है। सच तो यह है कि आज ऐसे व्यक्ति की कल्पना भी मुश्किल है जो मानसिक तनाव का अनुभव ना करता हो।

References

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Published

2018-12-30

How to Cite

कुमार श. व., & सरिता. (2018). मानसिक रोगों में प्राणायाम की उपयोगिता. Innovative Research Thoughts, 4(7), 103–106. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1384