मानव जीवन में प्राणायाम का महत्व

Authors

  • श्री जयपाल सिंह राजपूत सहायक प्राध्यापकए योग विज्ञानए चौ० रणबीर सिंह विश्वविद्यालय ;जीन्दद्ध
  • सुमन कुमारी एमण्एण् योग द्वितीय वर्षए चौ० रणबीर सिंह विश्वविद्यालय ;जीन्दद्ध

Keywords:

प्रकृति, मानव जीवन

Abstract

प्रकृति एवं योग हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। प्राचीन ग्रंथों में प्रतिपादित योग और प्राणायाम की महता और विश्वसनीयता आज के भौतिक परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिक दृष्टि पर भी खरी उतरती हैं। प्राणायाम हमारे जीवन का सौन्दर्य हैं, सौभाग्य हैं। प्राणायाम प्रकृति की, मानव प्राणि के लिए अमूल्य भेंट हैं। वस्तुतः प्राणायाम एक श्वास क्रिया विज्ञान हैं। मनुष्य को जीवित रहने के लिए सबसे जरूरी जो चीज है वह है, हमारी श्वास। चाहंे हम नींद में हो या जाग रहे हो, हमारी श्वसन क्रिया निरन्तर चलती रहती हैं। हमारी प्रत्येक श्वास अमूल्य हैं, जिसे मूल्य देकर न बेचा जा सकता है और न ही खरीदा जा सकता है। ऐसी अमूल्य श्वसन क्रिया हमारे शरीर द्वारा संचालित होती हैं। प्राण एक ऐसी ऊर्जा है, जो सभी स्तरों पर ब्रह्मांड में व्याप्त हैं। प्राण मनुष्य के शरीर आत्मा को जोड़ने वाली कड़ी है, और योग के चक्र धुरी है। प्राणायाम के अभ्यास से अनेक प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक व्याधियां दूर की जा सकती है।

References

स्वास्थ्य की और (डाॅ0 यशपाल आर्य) पृ0 संख्या 56, 57

स्वास्थ्य की और (डाॅ0 यशपाल आर्य) पृ0 संख्या 97

प्राणायाम एवं यौगिक व्यायाम (डाॅ0 उषा गोयल) पृ0 संख्या 2, 3

हठ प्रदीपिका पृ0 संख्या 35

प्राणायाम एवं यौगिक व्यायाम पृ0 संख्या 4, 5

प्राण एवं प्राणायाम पृ0 संख्या 32

प्राण एवं प्राणायाम पृ0 संख्या 201, 203

घेरण्ड संहिता (महर्षि घेरण्ड) पृ0 संख्या 298, 299

घेरण्ड संहिता (महर्षि घेरण्ड) पृ0 संख्या 201, 203

हठ प्रदीपिका पृ0 संख्या 35

प्राण एवं प्राणायाम पृ0 संख्या 64, 6

प्राण एवं प्राणायाम पृ0 संख्या 69

पांतजल योग प्रदीपिका (महर्षि पंतजलि) पृ0 संख्या 501

प्राणायाम एवं यौगिक व्यायाम पृ0 संख्या 6

घेरण्ड संहिता पृ0 288

हठ प्रदीपिका पृ0 संख्या 292

प्राणायाम एवं यौगिक व्यायाम पृ0 संख्या 8

घरेण्ड संहिता पृ0 संख्या 285, 286

शिव संहिता (शिव पार्वती संवाद) पृ0 संख्या 60-65

शिव संहिता (शिव पार्वती संवाद) पृ0 संख्या 66-72

Downloads

Published

2018-12-30

How to Cite

राजपूत श. ज. स., & कुमारी स. (2018). मानव जीवन में प्राणायाम का महत्व. Innovative Research Thoughts, 4(7), 81–84. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1378