आत्मिक शुद्धि में यम-नियम का महत्व
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महर्षि पंचजलि के अनुसार यम, स्वामी चरणदासAbstract
जिस प्रकार सांसारिक कार्यों की सफलता उचित तथा नियमित दिनचर्या पर निर्भर है एवं प्रेत्यक योगभूमि का सेवन करने के लिए यम औरह नियम का आचरण करना अत्यावश्यक है। यघपि योगदर्शन और शास्त्रों से इनका विवरण किया भी है। यदि हम गहराई से देखे तो योग के आठ अंग कोई साधारण कार्य नहीं है बल्कि इनका कार्य तो आत्मा से परमात्मा करना है। हमारे ऋषि-मुनियों ने योग को अलग-अलग बाँट कर फिर इन्हे एक सूत्र पिरोया ताकि व्यक्ति इन आठों अंगो के अलग-अलग कार्यों के माध्यम से शारीरिक स्वास्थय से लेकर मोक्ष तक को प्राप्त कर सके। अष्टाग योग को अपनाकर हम स्वस्थ ही नहीं इस घोर जन्म-मरण के चक्कर से सदा के लिए मुक्ति पर सकते है।
References
स्वामी ओमानंदः पातजल योग रहस्य
बलदेव उपाध्यायः भारतीय दर्शन (शारदा मंदिर काशी 1957)
योग विज्ञान प्रदिपिका डा विजय पाल शास्त्री
भक्ति सागर-चरण दास जी
अमर कोष(10/10)
योग सूत्र(2/30)
व्यास भाष्य(2/30)
मनुस्मृति (4/138)
शाण्डिल्योपनिषद
व्यास भाष्य(2/32)
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