यौगिक आहार की उपादेयता
Keywords:
यौगिक, पुरूष स्वास्थ्यAbstract
श्रेष्ठ पुरूष स्वास्थ्य को प्राप्त करना चाहता है। आयुर्वेदाशास्त्र में ऋतुचर्या, दिनचर्या व रात्रिचर्या में जो विधि वर्णित है, उसका नियमपूर्वक आचरण करने से ही मनुष्य सदा स्वस्थ बना रहता हैै। ऋतुओं के लक्षणों से पूर्णरूप से अवत हो जाने के उपरान्त उनके अनुकूल आहार, विहार का सेवन करना चाहिए।
जीवन चलाने के लिए हम जो सोते हैं, वह भोजन है। यह कितनी विडम्बना है कि जो क्रिया हम जन्म से लेकर पूरे जीवनभर प्रतिदिन कई बार करते हैं। उसके बारे में हमें कितनी कम जानकारी है। उत्तरी भारत में रहने वाला व्यक्ति रोटी को ही अपना भोजन समझता है। पूर्वी व दक्षिणी भारत में रहने वाला चावल को ही भोजन समझता है, इसलिए भोजन में एकरूपता नहीं है। अन्न तो भोजन है ही, पानी, वायु, सूर्य की किरणें भी भोजन ही है। इस प्रकार भोजन का क्षेत्र बहुत व्यापक है।
References
स्वस्थवृत विज्ञान:- प्रो. रामहर्ष सिंह, प्रकाशक:- चैखंभा संस्कृत प्रतिष्ठान (दिल्ली)
आसन एवं योग विज्ञान:- भारतीय योग संस्थान (पंजीकृत) मंगलम् प्लेस, सैक्टर-3, रोहिणी, दिल्ली - 110085
स्वस्थवृत्त एवं आहार चिकित्सा:- देव संस्कृति विश्वविद्यालय, दूरस्थ शिक्षा केन्द्र, हरिद्वार - 249411
सरल यौगिक ग्रंथ - श्रीमदभगवद्गीता, डा॰ अक्षय कुमार गौड़ - ड्रोलिया पुस्तक भण्डार, हरिद्वार।
स्वस्थवृत्तम् - शिवकुमार गौड़, नाथ पुस्तक भण्डार, रोहतक
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.