श्री मद् भगवत गीता में वर्णित ‘आत्म-संयम‘ का स्वरूप
Keywords:
परमात्मा, आत्मिकAbstract
परमात्मा ने सृष्टी की रचना कब और कितने वर्षो पहले की इस बारे स्पष्ट नहीं कहा जा सकता, परन्तु सृष्टि की रचना क्योकि इस बारे मे हमारे देश के महान ऋषि- मुनियो और संत महापुरूषो द्वारा बतलाया गया है कि इस संसार की उत्पति परमात्मा ने अपनी इच्छा से की है ताकि वह (परमात्मा) एक से अनेक हो सके। इस संसार का सबसे अमूल्य प्राणी मनुष्य को बनाकर इस धरती पर भेजा। परमात्मा ने मनुष्य को सबसे ज्यादा विवेक बुद्वि दी कि वह आत्मिक चितंन करता हुआ मोक्ष प्राप्त करके अपनी आत्मा को परमात्मा मे विलिन (एकाकार) कर सके।
References
श्रीमद् भगवत गीता श्लोक न0 6/6
श्रीमद् भगवत गीता श्लोक न0 6/7
श्रीमद् भगवत गीता श्लोक न0 6/10
श्रीमद् भगवत गीता श्लोक न0 6/45
श्रीमद् भगवत गीता श्लोक न0 6/47
डा0 इन्द्राणी
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