पाचन क्रिया, पाचन तंत्र संबंधित विकार तथा पाचन क्रिया संििधन के उपाय

Authors

  • Kapil Kajal Department of Yoga Science, CRSU, Jind
  • Dr. Manju Suhag Assistant Professor, Department of Yoga Science, CRSU, Jind

Keywords:

प्राकृततक, आयुविधज्ञान

Abstract

प्राचीन काल से ही प्रत्येक व्यक्ति विशेष की यह क्िज्ञासा रही है| कक उसकी मूल प्रकृति तया है?
उसके शरीर में विधमान त्रिदोष (िाि, विि, एिं कफ) सप्ि धािु (रस, रति, मांस, भेद, अक्थि, मड़ना, एिं शुक्र) ििा ओि की क्थिति तया है| मनुष्य यह िानना चाहिा है कक थिथि एिं लम्बी आयु के ललए रसायन प्रकक्रया तया है|
रोग के मूल कारण ि उसके थिायी तनिारण के बारे में िानने की उत्सुकिा भी प्रत्येक मनुष्य के मन में होिी है|
आि मनुष्य प्रकृति से विमुख होिा िा रहा है| अिने थिाथ्य चेिना आदद से विमुख होिा िा रहा है| और मनुष्य आहार-विहार, ददन चयाा – रात्रि चयाा, िल-िायु आदद से भी िूणािा विमुख होिा िा रहा है| मनुष्य को चादहए कक िह थिथि िृत्त, उचचि ददन चयाा आहार-विहार एिं आचार-विचार आदद को समझकर अिने िीिन में अिनाकर अिने ििा आसिास के िािािरण को थिथि रखने का प्रयास कर सकिा है| और यह काया इिना मुक्ककल भी नही है| मैं अिने गुरु के मागादशान के माध्यम से यह बिलाने का प्रयास करूँगा कक अिने थिाथ्य को ककस प्रकार से सुगदिि ककया िा सकिा है और अिने गुरुिनों के आशीिााद से यह शोध आि के सम्मुख रख रहा हूूँ क्िसमे िाचन कक्रया को संिचधाि करने के उिायों को बिलाने का प्रयास करूँगा

References

र्ेरंड-संदहिा-तनरािानन्द सरथििी-मुंगेर (त्रबहार)

हि प्रदीविका-कुिल्यनंद-लोनािला-िुणे (महाराष्र)

आयुिेद लसदधांि रहथय-आचाया बालकृष्ण

प्राकृतिक आयुविज्ञान

थिथििृत्त विज्ञान

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Published

2018-09-30

How to Cite

Kajal, K., & Suhag , D. M. (2018). पाचन क्रिया, पाचन तंत्र संबंधित विकार तथा पाचन क्रिया संििधन के उपाय. Innovative Research Thoughts, 4(6), 8–11. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/943