स्वातंत्र्य और विद्रोह के सन्दर्भ में छायावादी काव्य का अध्ययन
Keywords:
छायावादी काव्य, स्वातंत्र्य विद्रोहAbstract
छायावादी काव्य एक ऐसा आधुनिक साहित्यिक आंदोलन है जो भारतीय साहित्य में विभिन्न समाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को दर्शाने का कार्य करता है। इसकी उत्पत्ति 20वीं सदी के प्रारंभिक दशकों में हुई और इसने भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। स्वातंत्र्य और विद्रोह, जो उस समय के सामाजिक और राजनीतिक वातावरण का अंश था, छायावादी काव्य के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ बने। स्वातंत्र्य के समय में, भारतीय समाज में बड़े परिवर्तन की भावना थी। इस समय के कवियों ने अपने काव्य में स्वातंत्र्य के आदर्शों को स्थापित किया और सामाजिक विषयों पर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने जातिवाद, विद्रोह, राजनीतिक अनियमितता आदि जैसे मुद्दों पर अपनी कलम से चित्रण किया। छायावादी कविताओं में विद्रोह की भावना भी गहराई से प्रकट होती है। कवियों ने अपने काव्य में समाज में पारंपरिक विचारों के खिलाफ उत्तेजना और आंदोलन के आवाज को उठाया। उन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से स्वतंत्रता की भावना को प्रेरित किया और राष्ट्रीय अभिव्यक्ति के रूप में उसे स्थान दिया।
References
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