हिंदी साहित्य में दलित स्त्री हिमर्श पर एक विवेचना

Authors

  • डॉ. जाग्रति चाणक्यपुरी, अहियापुर, पोस्ट- उमानगर, मुजफ्फरपुर |

Keywords:

साहित्य, दहित

Abstract

भारतीय भाषाओं में दहित स्त्री िेखन को रूपाकार हिए हुए दो दर्क से ज्यादा गुजर चुके िैं। यि पूरा दौर दहित स्त्रीिादी कायशकताशओं, रचनाकारों के हिए कठिन सिंघषों का रिा िै। सामाहजक बदिाि की ददर्ा में काम करने िािे तमाम सिंगिनों, मिंचों और समूिों तक अपनी बात पहुुँचाने, उन बातों की गम्भीरता का अिसास कराने और उनकी कायशसूची में मुमदकन िद तक अपने मुद्दों को जगि ददिा सकने में उन्िें जठटि ददक्कतों का सामना करना पडा िै। जाहत-व्यिस्था के हखिाफ िडने िािे दहित सिंगिनों ने जिाुँ इस मुहिम को थोडे र्क की नज़र से देखते हुए दरदकनार करने की कोहर्र् की ििीं स्त्रीिादी सिंगिनों ने जाहत और हपतृसत्ता के गिजोड को तिज्जो देने िायक निीं समझा। यि जुझारू दहित हस्त्रयों और उनके समथशकों की सतत और पुरजोर परोपकारी का नतीजा था दक स्त्री आन्दोिन के चौथे राष्ट्रीय अहििेर्न में जाहत आिाठरत यौन-हििंसा और दहित सती के प्रश्नों पर हिस्तार से चचाश हुई।

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Published

2018-06-30

How to Cite

डॉ. जाग्रति. (2018). हिंदी साहित्य में दलित स्त्री हिमर्श पर एक विवेचना . Innovative Research Thoughts, 4(5), 223–227. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/909