“कौटिल्य सम्मत राजधर्म विवेचन”
Keywords:
कौटिलीय, राजनीवतकAbstract
कौटिलीय-अथमशास्त्र भारतीय राजनीवतक ग्रन्थों में देदीप्यमान अमूल्य रत्न है। राजा के गुणवििेचन, अपेवित बुविवििेक तत्िों के पटरशीलन से यह कहना अत्यन्त सरल है कक कौटिल्यसम्मत राजधममवसिान्त राजा को उसी उत्तमराजधमममागम पर प्रशस्त करते है जहााँ के वलए िह िाञ्छनीय है। अथमशास्त्र िर्णमतधमामनुगत-नीवतविज्ञान के अध्ययन से साम्प्रदावयक भयािहक राजनीवतक पटरिेश को भी रामराज्य की पटरकल्पना में पटरिर्तमत करना दुह ह कायम नहल लगता। कौटिल्य िर्णमत राजधमम आजकल के पटरिेश में भी उसी प्रकार उपादेय है जैसे चन्रगुप्त के समय में था।
References
शः ऋग्िेद ; 0/3223
ऐतरेय ब्राह्मण : ॥/4
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Published
2018-06-30
How to Cite
सुरेश. (2018). “कौटिल्य सम्मत राजधर्म विवेचन”. Innovative Research Thoughts, 4(5), 191–195. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/903
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