हिन्दी सिनेमा में दलित चित्रण का बदलता स्वरुप
Keywords:
सिनेमा, चित्रणAbstract
आज जिसे हम सिनेमा के नाम से जानते हैं वह बहुत कुछ रूप में रंगमंच, लोक नृत्यों, लोग नाट्यों से गुजरते हम तक पहॅुंचने वाली एक ऐसी शैली है, जिसने आज यांत्रिकता के विभिन्न उपादानों का रूप पाकर कला का रूप धारण कर लिया है। इस तरह कला व रचना के अनेक रूपों को एक ही धरातल पर एकत्र करने का महान कार्य सिनेमा ने किया है। दृश्य माध्यम की एक प्रमुख विद्या के रूप में सिनेमा ने आज समाज के हर वर्ग तक अपनी गहरी पहुंच बनाई है। समाज का हर वर्ग हर स्तर पर इससे प्रभावित है। आधुनिक समय में सिनेमा जीवन का एक ऐसा हिस्सा है, जिसे हम जन समुदाय से अलग नहीं कर सकते। यह सिनेमा ही है जिसके माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों के रूप अलग-अगल दृश्यवंधों के माध्यम से हमारे सामने आते चले जाते है। इस पेपर में हम जानेगें की दलित चित्रण का पहले कैसा स्वरुप था और यह चित्रण वर्तमान में कैसे होता जा रहा है।
References
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