साहित्य, समाज एवं थर्ड जैंडर: दशा और दिशा

Authors

  • नीलम

Keywords:

ईश्वर की रचना

Abstract

ईश्वर की रचना का हिस्सा जो नर है न ही नारी वो जिसे हम किन्नर या ट्रासं जेडं र से सम्बाेि धत करते हैं। दोनांे वर्ग अर्थात्स्त्राी व पुरूष के गुणां े का सामंजस्य है ये वर्ग। इनका पहनावा, वेशभूषा इनकी भिन्नता की पहचान है। हिजड़ा या किन्नरों के अन्दर एक अलग गुण पाया जाता है। इनका रहन-सहन भी समाज में अन्य स्त्राी, पुरूषों से अलग होता है। और यह कोई नयी नहीं अपितु बहुत प्राचीन परम्परा का हिस्सा है। परन्तु यह भी सत्य है कि इनके जन्म के कारणो ं के विषय मे ं आज भी एक मत नहीं है। इनके जन्म से सम्बन्धित माना जाता है। जब कुंडली मे ं शुक्र व शनि हो और उन्हे ं गुरू और चन्द्र नहीं देखता तो व्यक्ति का जन्म किन्नरो ं मे ं माना जाता है। वहीं दूसरे मत के अनुसार शास्त्रा मे ं किन्नर का जन्म पूर्व जन्म के गुनाह का े बताया जाता है। पौराणिक कथाआंे मे ं भी किन्नरो ं का वर्णन मिलता है। महाभारत में भीष्म की मृत्यु का कारण किन्नर बताया जाता है जिसका नाम शिखडं ी था। मुगल शासकांे के समय भी किन्नरो ं के राज दरबार का पता चलता है। चाहंे स्त्राी या पुरूष की भाँति किन्नर रूपी तीसरे वर्ग का वर्णन चाहे पुराणो ं से हाते ा आ रहा है परन्तु यह भी सत्य है कि यह वर्ग समाज में सदैव घृणा, व्यंग्य व कष्ट पूर्ण जीवन व्यतीत करता आया है। कई बार अपनी वास्तविक पहचान छुपाता यह वर्ग स्वयं को कभी लड़का तो कभी लड़की बताने के लिए मजबूर है यह मजबूरी भी उन्हें समाज द्वारा दी गई है। न चाहते हुए भी परिवार स े उन्हे ं अलग कर दिया जाता है।

References

तीसरी ताली: प्रदीप सौरभ वाणी पब्लिकेशन।

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गुलाम मंडी: निर्मला भुराडिया सामयिक प्रकाशन

ध्3ए कलब रोड़, पश्चिमपूरी, दिल्ली

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दैनिक भास्कर (अखबार): 14 अप्रैल, 2012

अमर उजाला: 27 नवम्बर, 2016

अमर उजाला: 30 जून, 2017

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Published

2018-06-30

How to Cite

नीलम. (2018). साहित्य, समाज एवं थर्ड जैंडर: दशा और दिशा. Innovative Research Thoughts, 4(5), 48–51. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/880