ऋग्वैदिक एवं उत्तरवैदिक काल में समाज में स्त्रियों की स्थिति: एक तुलनात्मक अध्ययन
Keywords:
ऋग्वैदिक एवं उत्तरवैदिक काल में समाजAbstract
यन्त्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता अर्थात् जहाँ नारियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते है। ऋग्वैदिक सभ्यता से ही भारतीय संस्कृति में स्त्री को उच्चतम स्थान दिया गया है। ऋग्वैदिक सभ्यता से प्राप्त अवशेषों के अवलोकन यह पता चलता है कि उस समय के परिवार मातृसत्तात्मक थे और मातृ देवी की पूजा किी जाती थी। माता को जननी के रूप में पूजा जाता था। इसके बाद उत्तर वैदिक काल से ही नारी के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक अधिकारों में कमी होनी शुरू हो गई। आर्थिक अधिकारों में तो स्त्रियों पहले से ही पीछे थी, परन्तु इस समय के बाद उसमें और ज्यादा गिरावट आई। ऋग्वैदिक व उत्तर वैदिक सभ्यता की पूजनीय स्त्री अब सब तरफ से कमजोर हो चुकी थी। इस काल में शुरू हुई पुरूष और स्त्रियों के जीवन स्तर की गिरावट अगली कई शताब्दियों तक निरंतर नीचे जाती रही।
References
दयानन्द सरस्वती, यजुर्वेद भाष्य, रामलाल कपूर ट्रस्ट, अमृतसर
डाॅ॰ भगवत शरण उपाध्याय, प्राचीन भारत का इतिहास, ग्रन्थमाला प्रकाशन, पटना, प्रथम संस्करण, 1876
शशि अवस्थी, प्राचीन भारतीय समाज, बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी, ़िद्वतीय संस्करण, 1993
ए॰एस॰ अल्तेकर, पाॅजिशन आॅफ वुमैन इन हिन्द सिविलाईजेशन, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, 1938
अन्विता आनन्द, गुप्त काल में नारियों की स्थिति, राधा पब्लिकेशन, दरियागंज, नई दिल्ली, 1992
श्री कृष्ण ओझा, प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, रिसर्च पब्लिकेशन, नई दिल्ली, 1996
ओम प्रकाश, प्राचीन भारत का सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास, विश्व प्रकाशन, नई दिल्ली, 2002
जे॰सी॰ घोष, दी प्रिंसिपल्स आॅफ दी हिन्दू लाॅ, गेल मेकिंग आॅफ माॅर्डन लाॅ, 2013
जगदीश चन्द्र जैन, जैन अगम साहित्य में भारतीय समाज, चैखम्बा विद्या भवन, वाराणसी, 1965
विमल चन्द्र पाण्डेय, भारत वर्ष का सामाजिक इतिहास, हिन्दुस्तान एकेडमी, उत्तर प्रदेश, 1960
विंटर नित्स, हिस्ट्री आॅफ इण्डियन लिटरेचर, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, 2010
इरफान हबीब और विजय कुमार ठाकुर, वैदिक काल, नयी दिल्ली, डायमंड प्रकाशन, 2015
डॉ॰ एस॰ एन॰ नागोरी, प्राचीन भारतीय चिंतन का इतिहास, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, जयपुर, 1992
राजबली पाण्डेय, अथर्ववेद, डायमंड पप्लिकेशन, दिल्ली, 2015
ओमप्रकाश प्रसाद और प्रशांत गौरव, नारीवाद, रावत प्रकाशन, जयपुर, 2011
रहीम सिंह, प्राचीन भारतः प्रागैतिहासिक से सामंतवाद तक, डार्लिंग किंडरमले, नई दिल्ली, 2012
बी॰ एन॰ सिंह और जन्मेजय सिंह, नारीवाद, रावत पब्लिकेशन्स्, जयपुर, 2012
डाॅ॰ शिवस्वरूप सहाय, प्राचीन भारत का सामाजिक व आर्थिक इतिहास, नेशनल पब्लिसिंग हाउस, जयपुर, 2004