‘‘एकात्म मानववाद का विकास क्रम, नामकरण व समाजशास्त्रीय प्रवृतियां‘‘
Keywords:
पुनरूत्थान, अवधारणात्मक का विकास, राष्ट्रवादी, संस्कृतिAbstract
इस शोधपत्र में एकात्म मानववाद का विकास क्रम, नामकरण व समाजशास्त्रीय प्रवृतियां का वर्णन किया गया है। ‘एकात्म मानववाद की अवधारणात्मक का विकास, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा स्वीकृत‘ शुद्ध राष्ट्रवाद‘ की धारणा से होता है। भारतीय संस्कृति जो कि हिन्दू संस्कृति है, कांग्रेस द्वारा प्रतिपादित मिश्रित राष्ट्रवाद तथा पाश्चात्य वैचारिक दर्शन की प्रतिक्रिया से भी उत्पन्न हुई। दीनदयाल उपाध्याय इसके विचारक और संगठक बने।
References
भारतीय जनसंघ घोषणाएं व प्रस्ताव भाग-4 आंतरिक प्रश्नों पर प्रस्ताव, 52.25 सांस्कृतिक पुनरूत्थान (31 दिसम्बर, 1952 कानपुर, पटना सा0 अ0) पृ0 25
भारतीय जनसंघ की अर्थनीति-भारतीय जनसंघ उत्तर प्रदेश के प्रादेशिक सम्मेलन, 1953 के अवसर पर कार्यकर्ता शिविर के लिए दीनदयाल उपाध्याय द्वारा भेजा गया लेख। पृ0 19
पा´चजन्य 30 मार्च 1959 ‘विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था से ही मानव मूल्यों की रक्षा‘ महामंत्री दीनदयाल उपाध्याय (19 मार्च लखनऊ, गंगा प्रसाद स्मारक हाॅल में भाषण), पृ0 21
पा´चजन्य 2 जनवरी 1961, समाजवाद, लोकतंत्र अथवा मानववाद-दीनदयाल उपाध्याय, पृ0 21
दीनदयाल उपाध्याय, ‘राष्ट्र-चितंन‘ समाजवाद लोकतंत्र और हिन्दुत्ववाद, पृ0 69
पा´चजन्य 24 अगस्त 1964, भारतीय जनसंघ प्रशिक्षण शिविर में भारतीय जीवनदर्शन की युगानुकूल व्याख्या प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयास (सिद्वांत और नीति) पृ0 7
‘एकात्म दर्शन दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली (इस पुस्तक में दीनदयाल उपाध्याय के बम्बई में दिए गए चार भाषण, एक भाषण मा0 स0 गोलवलकर (गुरू जी) तथा एक भाषण दतोपंत ठेंगड़ी का संकलित है)। इन भाषणों को ‘एकात्म मानववाद‘ नामक पुस्तिका में भारतीय जनसंघ ने भी प्रकाशित किया है।
इस संदर्भ में राजस्थान संघ शिक्षा वर्ग में दिए गए दिसम्बर 4 व 5 जून, 1964 का बौद्विक वर्ग सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
महेश वर्मा पृ0 416
दत्तोपत ठेंगडी, एकात्म मानववाद: एक अध्ययन, पृ0 27-29
बौद्विक वर्ग पंजिका, राजस्थान, बौद्विक वर्ग 5 जून 1964 (उदयपुर)
आर0 सी0 पाण्डेय, अध्यक्ष, दर्शन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दीनदयाल शोध संस्थान में आयोजित कार्यशाला ‘एकात्म मानववाद‘ के विविध आयाम 12-13 फरवरी 1971 के उद्घाटन समारोह पर भाषण से पृ0 3-4
मुरली मनोहर जोशी द्वारा दीनदयाल शोध संस्थान में आयोजित दीनदयाल जयंती पर 25 सितम्बर, 1974 को दिए गए भाषण से लिया गया। पृ0 3
राजस्थानः संघ शिक्षा वर्ग में दिया गया भाषण 4 जून 1964 का बौद्विक वर्ग पृ0 6
दतोपन्त ठेंगडी, एकात्म मानववाद: एक अध्ययन, पृ0 8
भारतीय जनसंघ घोषणाएं व प्रस्ताव, भाग-1 ‘सिद्वांत और नीतियां, पृ0 12
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