अल् का वेदत्वम्

Authors

  • रीटा देवी शोध.छात्रा, संस्कृत विभाग बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक
  • डॉ. तरुण सहायक प्राध्यापक, संस्कृत विभाग बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक

Keywords:

पण्डित नीरजनाभ, व्याकरण शास्त्र, पाणिनि सूत्रों की सहायता, शंकाएं

Abstract

अल्वेद संवादशैली और महाभाष्य के समान शंका और समाधान रूप में विरचित किया गया है । सर्वप्रथम मथुरादेवी अपनी शंकाएं प्रस्तुत करती हैं और कहती हैं कि चतुर्दश प्रत्याहार सूत्र व्याकरण शास्त्र के हैं । इन चैदह सूत्रों में आदि अक्षर अकार तथा अन्तिम लकार है अल् प्रतयाहार इस प्रकार कथन करने से (उपदेशेऽजनुनासिक इत्, हलन्त्यम्, आदिरन्त्येन संहेता) पाणिनि सूत्रों की सहायता से मध्यवर्ती अक्षरों का भी ग्रहण हो जाता है ।1 लेकिन प्रत्याहार वेद कैसे हो सकता है? वेद तो केवल चार माने गये हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद ।2
पण्डित नीरजनाभ इन सभी शंकाओं/प्रश्नों का समाधान करते हुए अल्वेद के वेदत्व को विभिन्न प्रमाण देकर सिद्ध करते हैं

References

अल्वेद प्रथम मण्डलम द्वितीयोऽध्यायः मन्त्र-1-3 (भगवन्विस्मयो जातः श्रुत्वाल्वेदं तवाननात्। ततोऽपि द्विगुणो मोहः श्रुत्वा ह्यर्थस्य सङ्गतिम्।।, व्याकरणास्य सूत्राणि ह्येतानि नव पंच च। द्रष्टव्यं पाणिनिप्रोक्तं व्याकरणं त्वयानघ।।, एषामादावकारोऽस्ति लकारश्चवसानगः। अल् ग्रहणेन गृह्यन्ते सर्वे वर्णाश्च मध्यगाः।।)

तदेव मन्त्र (4-6) (एतत्सर्वं विजानामि नातवेदस्तु श्रुतो मया। कथं मोहयसि तं मां नास्य वेदत्मर्हति।।, वेदास्तु सन्ति चत्वारोमाननीया मनीषिणाम्। ऋग्वेदस्तु यजुर्वेदः सामवेदो ह्यथर्वणः।। विष्णोश्च जज्ञिरे वेदा यजुर्वेदे प्रकीर्तिताः। एकत्रिंशत्तमेऽध्याये मन्त्रे च सप्तमेऽनघ।।

विद चेतनाख्यान-निवासेषु चुरादिगण आत्मनेपद।

पाणिनि अष्टाध्यायी 3/3/121

अल्वेद प्रथममण्डलम् चतुर्थोऽध्यायः मन्त्र 19 (यः स्वयं चेतनं ब्रह्म निवासः सर्वदेहिनाम्। व्याख्याता सर्वशास्त्राणां स वेदः परिकीर्तितः)

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Published

2023-03-30

How to Cite

रीटा देवी, & डॉ. तरुण. (2023). अल् का वेदत्वम्. Innovative Research Thoughts, 9(1), 200–209. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/598