प्रेमचंद की लघुकथाओं में नारीवाद

Authors

  • Sanjay Kumar

Keywords:

लघुकथा, उद्यमी, समस्याओं, गरीबों की समस्याएं

Abstract

प्रेमचंद एक महान लेखक थे जिन्होंने अपनी लघुकथाओं में नारीवाद को साथथकता दी है। उनकी लघुकथाओं में आधुननक भारतीय समाि की समस्याओं को उठाया गया है और उन्होंने नारीवाद को उन्ननत का माध्यम बनाया है। प्रेमचंद की लघुकथा "लज्िा" नारीवाद के उदाहरणों में से एक है। इस कहानी में, मुख्य चररत्र का व्यवहार उसकी पत्नी के साथ अनुचचत होता है, िो उसकी लज्िा को हानन पहुंचाता है। कहानी में, प्रेमचंद ने समाि में महहलाओं के अचधकारों के महत्व को उिागर ककया है। एक और लघुकथा, "सहिन बैठे सूरि को नींद नहीं आती" में, प्रेमचंद ने स्त्री शिक्षा के महत्व को उिागर ककया है। इस कहानी में, महहलाएं अपनी शिक्षा के माध्यम से अपनी आवाि उठाती हैं और समाि में अपनी िगह बनाने के शलए स्वयं को उन्नत करती हैं। प्रेमचंद की और भी लघुकथाओं में नारीवाद के ववशभन्न पहलुओं को दिाथया गया है। इसके अलावा, प्रेमचंद की लघुकथा "बुह़िया की कहानी" एक और उदाहरण है, िो नारीवाद को उिागर करता है। इस कहानी में, एक बुह़िया को अपनी ज़िन्दगी में एक नई उमंग दी िाती है, िब वह एक उद्यमी आदमी से शमलती है िो उसे नई िगहों को खोिने के शलए प्रेररत करता है। इस कहानी में, प्रेमचंद ने बुह़िया की समस्याओं को उिागर ककया है िो उसे उसके िीवन में उलझन में फँसाते थे। एक और लघुकथा, "गरीबों का िहर" में, प्रेमचंद ने हदखाया है कक गरीबों की समस्याएं कैसे अनदेखी रहती हैं और वे कैसे समाि में अपनी िगह नहीं बना पाते। इस कहानी में, एक महहला गरीब लोगों के शलए एक नया िहर बनाती है, िो उन्हें एक सुरक्षक्षत और आरामदायक िीवन िीने की सुववधा प्रदान करता है। इन लघुकथाओं के माध्यम से, प्रेमचंद ने समाि में नारीवाद के महत्व को उिागर ककया है

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Published

2024-02-28

How to Cite

Sanjay Kumar. (2024). प्रेमचंद की लघुकथाओं में नारीवाद. Innovative Research Thoughts, 9(1), 116–120. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/585