दलित उत्पीडन एवं मीडिया
Keywords:
भारतीय, समाजवादी, राजनीतिक न्यायAbstract
भारतीय समाज सदियों से जाति पर आधारित ऊंच-नीच, के सोपानों में विभक्त रहा है। यहॉं जातिगत विषमता ही आर्थिक विषमता का मुख्य कारण रही है। भारत के संविधान में भारत का एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासन की स्वतन्त्रता तथा प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्रदान करने का संकल्प किया गया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद ‘सामाजिक न्याय के साथ विकास’ को राष्ट्रीय नीति का उद्देश्य मानते हुए इस दिशा में कई उपाय प्रारम्भ किए गए। लेकिन जाति की जकड़बंदी इतनी व्यापक और गहरी निकली कि ऊंची और नीची जाति का परम्परागत भेदभाव अभी भी न केवल बना हुआ हे, बल्कि कई मायनों में अधिक हुआ है। यद्यपि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बहुस्तरीय दबावों के चलते भेदभाव के स्वरूप और उसके प्रकट व्यवहार में पहले जैसी उग्रता अब नहीं है।
References
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