भारतीय विद्वानों के मत में व्याकरण की परिभाषा
Keywords:
अपाहिज, विद्वानोAbstract
जब भी हम किसी भाषा पर विचार विमर्श करते हैं तो हमारा ध्यान सबसे पहले उस भाषा की व्याकरण पर जाता है। भाषा चाहे हिन्दी हो या संस्क ृत, प्रत्येक
भाषा में व्याकरण महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। व्याकरण के बिना भाषा अपाहिज व्यक्ति के समान है लेकिन जब हम व्याकरण और भाषा को मिलाकर द ेखत े हैं तो
भाषा अत्यंत समृद्धशाली रूप धारण करके मनुष्यों का उपकार करती है। अतः भाषा क े लिए व्याकरण प्राणों के समान है।
References
सूत्रं व्याकरणम्, म. 1.1.1
‘स्मृत्युदाहरण‘ आदि, म. 1.1.1
म. 1.1.1
म. त्रि. 1.1.1
म. 1.1.1
वही ‘सप्तद्वीपा वसुमती.....।
. म. त्रि. 1.1.1
वही
‘उच्यत े स्मृतिशास्त्रमिदम् म. त्रि. 1.1.1 तथा वा. 1.143
‘स यदा स्मृतिसूत्रमाह‘ म. त्रि. 1.1.1
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Published
2018-03-31
How to Cite
अंकुश. (2018). भारतीय विद्वानों के मत में व्याकरण की परिभाषा . Innovative Research Thoughts, 4(3), 129–132. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/551
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