भारतीय समाज के परिपेक्ष में शिक्षकों का दायित्व
Keywords:
व्यवसाय , परिवर्तनशील , कृत्रिमता, दृष्टिकोणोंAbstract
भौतिक युग की कृत्रिमता, यांत्रिकता ने भारतीय परिवेश को परिवर्तित एवं परिवर्तनशील बना दिया है। समय के साथ-साथ नए-नए प्रयोगों और दृष्टिकोणों ने हर व्यवसाय एवं पद स्वरुप को बदल दिया है। अब कोई भी कार्य अपने प्राचीन तौर-तरीकों से करना असंभव सा हो गया है। जब ऐसा परिवर्तन समाज में आता है, तब समाज के शिक्षित, सुशिक्षित वर्ग का दायित्व और भी बढ़ जाता है। दायित्वों का भार उसे अधिक संयमित होकर निभाना पड़ता है। यह बात शिक्षक वर्ग पर अधिक लागू होती है। समाज का निर्माता, राष्ट्र का मार्ग-दर्शक, स्वस्थ परंपराओं के नियामक शिक्षक को ओर भी अधिक सावधान होने की जरूरत पड़ती है।
References
Downloads
Published
2018-03-31
How to Cite
Dalela, K., & Singh, D. (2018). भारतीय समाज के परिपेक्ष में शिक्षकों का दायित्व . Innovative Research Thoughts, 4(3), 47–51. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/535
Issue
Section
Articles
License

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.