भारत में बैंककिंग विकास एवं बैंक की प्रिृवतयािं : एक विवेचना
Keywords:
अर्थव्यिस्र्ा, भारत, बैंककिंगAbstract
आधुवनक अर्थव्यिस्र्ा में बैंकों का महत्िपूणथ स्र्ान है मानि शरीर में रक्त नवलका ओं का कायथ रक्त के बहाि को बनाए रखना है। इसी प्रकार बैंक देश के आर्र्थक शरीर में मुद्रा एििं शाखा की पूर्तथ बनाए रखती है। बैंक एक देश की अर्थव्यिस्र्ा में विवभन्न प्रकार से सहायता करती है। भारत जैसे विकासशील देश में तो बैंक की भारी महत्ि जनता की बचते ही एकवित नहीं करती बवल्क इन बचतों को उत्पादक एििं विकास का समान कायथ में लगाती है तर्ा आिश्यक शाखा की शुविपूर्तथ करती है
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