पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास समय की मांग

Authors

  • Jitendra Kumar एम.एस.सी जियोग्राफी बीएड़, नेट (जी आर एफ), सेटपी.एच ड़ी (अध्ययनरत) - राजस्थान विश्विधालय (जयपुर)

Keywords:

पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास, पर्यावण संतुलन

Abstract

पर्यावरण एक भौतिक एवं जैविक संकल्पना है जिसमें पृथ्वी के जैविक एवं अजैविक घटकों को सम्मिलित किया जाता है। आज दुनिया के समक्ष पर्यावरण और इसका संतुलित चिंतन का प्रमुख विषय बन गया है। क्योंकि वर्तमान में पर्यावरण विघटन की समस्याओं ने ऐसा गंभीर रूप धारण कर लिया है। कि इससे समस्या प्राणी जगत के समक्ष अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया हैं एक और जहां नीवन प्रौद्योगिकी की खोज एवं औद्योगीकरण लोगों के जीवन स्तर में परिवर्तन आया है वहीं दुसरी ओर बढ़ती जनसंख्या वृद्धि से मनुष्य के दैनिक जीवन की आवश्यकताएं बढ़ी है। जिनकी पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी तेजी से हुआ है। संसाधनों के अत्याधिक दोहन के कारण र्प्यावरण क्षरण हो रहा है तथा यह मानव जाति के लिए एवं उसकी उत्तरजीविता के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है। चूंकि वन पर्यावरण संतुलन के महत्वपूर्ण तत्व हैं, किन्तु बढ़ते वनोन्मूलन की दर से पर्यावरण क्षरण की समस्या को बढ़ा दिया हैं इससे उत्पन्न होने वाले संकटों का प्रभाव संपूर्ण विश्व में, वनस्पति जगत एवं प्राणियों पर समान रूप से पड़ रहा हैं ऐसे समय में हम सभी को एकजुट होकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की सख्त जरूरत है।

References

छब्म्त् ब्संेे 12जी जीव विज्ञान - ‘‘जीव तथा पर्यावरण’’ अध्याय

हिन्दु, न्यूज पेपर - 19.06.2015 पृष्ठ संख्या - 9-10

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Published

2018-03-30

How to Cite

Kumar, J. (2018). पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास समय की मांग. Innovative Research Thoughts, 4(2), 96–99. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/479