माघकृत- शिशुपालवध में रैवतक पर्वत वर्णन
Keywords:
महाकाव्य, रैवतक, स्वर्णमयAbstract
संस्कृत के रीत-ग्रन्थों में ऋतु, वन, सरिता और पर्वतों के वर्णन महाकाव्य के अनिवार्य अंग माने गये हैं। प्रकृति-वर्णन को महाकाव्य में आवश्यक मानने के कारण संस्कृत-साहित्य में इसका प्राचुर्य होना स्वाभाविक है। माघकृत- शिशुपाल-वध भी एक महाकाव्य है जो बहत्त्रयी-महाकाव्यों में से एक है, जिसमें महाभारत की सुप्रसिद्ध चेदि नरेश की कथा का वर्णन किया गया है। महाकवि माघ ने चतुर्थ सर्ग में रैवतक-पर्वत के सौन्दर्य और भगवान कृष्ण के वन-विहार तथा जलक्रिड़ा के वर्णन में अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन इस प्रकार किया है।
References
ऋक् सूक्तमणिमालाः कात्यायन वैदिक साहित्य प्रकाशन, होरियारपुर, पृ.-3931
कुमारसंभव:संपादक, डॉ. गौतम पटेल, भारतीय बुक कॉर्पोरेशन, दिल्ली।
शिशुपाल-वध:श्रीपण्डित हरगोविन्द शास्त्री, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, 2013
संस्कृत-साहित्य चिंतन: चौखम्बा विद्याभवन, दिल्ली।
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