वाल्मीकि रामायण में राजनीतिक चिन्तन
Keywords:
राजा का निर्वाचन, राजा, मन्त्रीAbstract
प्रस्तुत शोध पत्र में वाल्मीकि रामायण में राजनीतिक चिन्तन पर विचार विमर्श किया गया है। किसी भी देश या राष्ट्र की उन्नति के लिए उसका राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ होना अत्यन्त आवश्यक है। ऐसी ही एक सुन्दर व सुदृढ़ राजनीतिक परम्परा हमें वाल्मीकि रामायण में देखने को मिलती है। प्रस्तुत शोध-पत्र में वाल्मीकिरामायणकालीन राजा व उसके विभागों का विवेचन किया गया है।
References
राजा प्रकृतिरंजनात्। रघुवंश महाकाव्यम् 4/12
रंजिताश्च प्रजास्सर्वा तेन राजेनि शब्द्यते। महाभारत, शान्तिपर्व
वाल्मीकि रामायण 7/76/37, 39, 42, 43
वाल्मीकी रामायण 2/67/9
वा0 रा0- 2/1/33, 41
वा0 रा0-2/2/16
Downloads
Published
2018-03-30
How to Cite
Sharma, H. (2018). वाल्मीकि रामायण में राजनीतिक चिन्तन. Innovative Research Thoughts, 4(2), 11–13. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/459
Issue
Section
Articles
License

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.