रामायण काल में कृषि परंपरा
Keywords:
सुकृष्ट, कौसल, मुषष्टAbstract
कृषि ककसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्र्ा की नींव कही जाती है। हमारे देश के षलए कृषि उतनी ही आवश्यक है षजतना जीषवत रहने के षलए सांस लेना। कृषि हमारी आर्र्थक व्यवस्र्ा के षलए ‘रीड की हड्डी’ की तरह है। सामाषजक व्यवस्र्ा में कृषि का उतना ही महत्व है, इस के नष्ट होने से सामाषजक व्यवहार भी नष्ट हो जाता है।
वैकदक काल से प्रारंभ हुई कृषि परंपरा पौराषणक काल, रामायण काल, महाभारत काल, मध्यकाल एवं आधुषनक काल में भी षवद्यमान है समय के सार्-सार् कृषि करने के तरीकों में भी पररवतथन आया है पौराषणक काल में भी आजीषवका का प्रधान साधन कृषि ही र्ा।
References
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