हिन्दी साहित्य में आंचहिक एवं मनोहवज्ञान उपन्यास :एक हववेचना

Authors

  • Arjun Singh हिंदी हवभाग, डी एस बी परिसि , कजमाऊँ हवश्वहवद्यािय नैनीतािल
  • डॉ. शिरीष कुमार मौर्या हिंदी हवभाग, डी एस बी परिसि , कजमाऊँ हवश्वहवद्यािय नैनीतािल

Keywords:

संस्कत, इहतिास, आंचहिक

Abstract

हिन्दी साहित्य के इहतिास की िोकहिय हवधा उपन्यास िै। उपन्यास शब्द को अंग्रेर्ी में नावेि, मिाठी में कादम्बिी तर्था गजर्िाती में नविक कर्था किा र्ाता िै उपन्यास शब्द दो शब्दों के योग से बना िै। ‘उप तर्था ‘न्यास का अर्थु िोता िै - सर्ाना या सजशोहभत किना। ‘उप संस्कत का उपसगु िै र्ो शब्दों के पूर्ु आकाि, समीपता, नर्दीक या पास आदद का द्योतक िै। न्यास शब्द हन भी एक संस्कत का उपसगु िै “उपन्यास की संज्ञा एसी िचना को दी र्ा सकती िै हर्से पढकि अपने र्ीवन की वास्तहवक यर्थार्थुवादी िदकयां का आभास िो औि हनकटता की अहभव्यहि िो।

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Published

2018-03-30

How to Cite

Singh, A., & कुमार मौर्या ड. श. (2018). हिन्दी साहित्य में आंचहिक एवं मनोहवज्ञान उपन्यास :एक हववेचना. Innovative Research Thoughts, 4(1), 153–155. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/445