धर्म की रक्षा हेतु भगवान ववष्णु के अवतार : एक ववश्लेषण

Authors

  • सुरेश कुमार व्या. प्राध्यापक वहन्दीराजकीय कन्या वररष्ठ र्ाध्यवर्क ववद्यालय, क्योड़क वजला कैथल

Abstract

वहन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों र्ें बहुर्ान्य पुराणानुसार ववष्णु परर्ेश्वर के तीन र्ुख्य रूपों र्ें से एक रूप हैं। पुराणों र्ें विर्ूर्तम ववष्णु को ववश्व या जगत का पालनहार कहा गया है। विर्ूर्तम के अन्य दो रूप ब्रह्मा और वशव को र्ाना जाता है। ब्रह्मा जी को जहााँ ववश्व का सृजन करने वाला र्ाना जाता है, वहीं वशव जी को संहारक र्ाना गया है। र्ूलतः ववष्णु और वशव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह र्ान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है। न्याय को प्रश्रय अन्याय के ववनाश तथा जीव (र्ानव) को पररवस्थवत के अनुसार उवित र्ागम-ग्रहण के वनदेश हेतु वववभन्न रूपों र्ें अवतार ग्रहण करनेवाले के रूप र्ें ववष्णु र्ान्य रहे हैं। पुराणानुसार ववष्णु की पत्नी लक्ष्र्ी हैं। कार्देव ववष्णु जी का पुि था। ववष्णु का वनवास क्षीर सागर है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नावभ से कर्ल उत्पन्न होता है वजसर्ें ब्रह्मा जी वस्थत हैं।

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Published

2017-03-30

How to Cite

कुमार स. (2017). धर्म की रक्षा हेतु भगवान ववष्णु के अवतार : एक ववश्लेषण. Innovative Research Thoughts, 3(1). Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/44