भाषा में पद के महत्त्व पर विद्वानों के विचार
Keywords:
भाषा, साधनAbstract
भाषा विचार व्यक्त करने का सर्वोत्तम साधन हैै। भाषा के बिना जीवन बोझ के समान है। भाषा को सम्पूर्ण रूप तब प्रदान किया जा सकता है जब उसे पद, वाक्य आदि को जोड़ दिया जाता है। विद्वानों में इस बात को लेकर गंभीर रूप से चर्चाएँ होती हैं कि ‘वाक्य‘ ज्यादा महत्त्पपूर्ण है या ‘पद‘। येस्पर्सन उक्ति की एक ही कोटि स्वीकार करते हैं। ‘वाक्य‘1 भर्तृहरि ने भी यही बात स्पष्टता से कही है। उनकी दृष्टि में भी ‘वाक्‘ की एक और अखण्डात्मक अभिव्यक्ति वाक्य से ही संभव होती है। पर हम देखते हैं कि व्याकरण शास्त्र में विचार ‘पद‘ या शब्दरूपों का ही अधिक होता है। अतः स्वभावत्ः शंका यह उठती है कि व्याकरण की दृष्टि से इकाई ‘पद‘ है
References
अध्याय 3, अनुच्छेद 3.28.2 पृ. 85
विस्तृत विवेचन के लिए देखें - भाषा और वाक्य का चतुर्थ अध्याय, अनुच्छेद 85-6, पृ. 82-3
पाणिनि 1.4.14
गार्डिनर, स्पीच एण्ड लैंग्वेज, पृ. 131, अनुच्छेद 41
वा. 2.13ः 3.1.1
पाणिनि 1.4.14-17 का भाष्य
ऋग्वेद 1.164.45
ऋग्वेद 4.58.6
म. त्रि. 1.1.1