हिन्दी-कहानियों में नारी की बदलती मानसिकता

Authors

  • Dr Sudesh Kumari हिन्दी प्राध्यापिका

Keywords:

मानसिकता, भावनाओं

Abstract

आज की नारी पहले समाज में स्वयं को प्रतिष्ठित करती है, बाद में किसी रिश्ते में बँधकर उसके अनुसार चलती है। अतः दूसरों के साथ सारे संबंध स्वार्थ पर आधारित है। दिखावे और स्वार्थ पर आधारित संबंधांे में मधुरता लुप्त होती है। अब नारी अपने जीवन का फैसला अपनी इच्छा से करके, बंधनों से मुक्त होकर अपनी शैली से जीने में विश्वास रखती है और इसी के लिए वह निरंतर संघर्ष करती है। इसी संघर्ष-भावना से उसकी मानसिकता, उसकी सोच तथा उसके जीवन के मूल्यों में परिवर्तन आया है।

References

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मन्नु भंडारी, मेरी प्रिय कहानियाँ, अकेली कहानी के परिपेक्ष्य में

ममता कालिया की कहानी पच्चीस साल की लड़की के विषय में

शशिप्रभा शास्त्री की कहानी, अग्निरेखा के विषय में

मृदुला गर्ग, दो एक फूल के विषय में

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Published

2018-03-30

How to Cite

Kumari, D. S. (2018). हिन्दी-कहानियों में नारी की बदलती मानसिकता. Innovative Research Thoughts, 4(1), 99–103. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/434