माध्यमिक स्तर के मूक-बधिरान्ध में अक्षम विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि अभिप्रेरणा एआकांक्षा स्तर एवं संवेगात्मक परिपक्वता का अध्ययन
Keywords:
विकलाग, अनायासAbstract
हमारा समाज प्रारम्भ से ही किसी भी प्रकार से विकलांग वर्ग के बालको के प्रति हेय नजरिया रखता है। जिसको ध्यान मे रख कर श्री मधुर शास्त्री जी की इन पंक्तियो ने स्पष्ट किया हेै कि समाज विकलांगों के प्रति उपेक्षा का व्यवहार करता है विकलांग वर्ग सदा से ही समाज में उपेक्षित वर्ग रहा है । उपेक्षा ही नही घृणा भी इनके प्रति देखने को मिलती है। प्राचीन काल से ही मानव समाजों ने विकलागों को उचित सम्मान एवं अधिकार नही दिया ऐसा क्यों किया गया ? इस प्रश्न का उत्तर देना बहुत ही मुश्किल है । जब कभी हम विकलांगो के बारे में सोचते है , विचार करते है या बोलते हैं तब हमें अनायास ही प्लेटों और अरस्तु के समय की याद आ जाती है । उस समय शारीरिक विकलांग या मानसिक विकलांग को उसके या उसके पूर्वजों द्वारा किये गये पापों का फल एवं ईश्वर का अभिशाप माना जाता था।
References
प्रस्तुत शोध कार्य मे जयपुर ओर अजमेर संभाग के जिलो का चयन किया है। जिसमे मुख्य रूप से अलवर ए जयपुर जिले की माध्यमिक स्तर तक की विधालयो मे अध्ययनरत मुक-बधिरान्ध कुल 150 छात्रो का अध्ययन किया गया है।
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