महाकाव्य में वर्णित व्यापार व्यवस्था -एक अध्ययन
Keywords:
महाभारत, रामायण, व्यापार, व्यापार, दक्षिण-पूर्वी एशियाAbstract
महाकाव्य से भी भारत और दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों के सम्बन्धों के विषय में पता चलता है। इनमें सर्वप्रथम रामायण का प्रसंग अत्यन्त रोचक है। जब सीता का अपहरण लंका के राजा रावण द्वारा कर लिया जाता है तब रामचन्द्र सीता की खोज में वनों में भटकते हुए सुग्रीव से मिलते हैं। सुगीव राम से कहता है कि मैं आपकी सहायता करूँगा लेकिन आप मेरे बड़े भाई बालि से मुझे छुटकारा दिलाइये। इस पर राम बालि का वध कर सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा बना देते है। राजा होने पर सुग्रीव भोग-विलास में ड़ूब जाता है व राम को सहायतार्थ दिया हुआ वचन भूल जाता है। ऐसी स्थिति में लक्ष्मण अत्यन्त क्रोधित हो सुग्रीव के पास पहुँचते हैं लेकिन सुग्रीव लक्ष्मण से क्षमा याचना करके, सहायता का आश्वासन देकर राम के पास पहुँचते हैं।
References
बाल्मीकि रामायण, 1/40/29, ‘‘गिरिभिर्ये च गम्यन्ते प्लवेन च।’’
वही, 1/40/30, ‘‘यत्रवन्तो यवद्वीपं सप्तराजोपशोभितम्।
सुवर्णरूप्यकद्वीप सुवर्णाकरमण्ड़ितम्।’’
वही, 1/40/31, ‘‘यवद्वीपमतिक्रम्य शिशिरो नाम पर्वतः।
दिवं स्पृशति श्रृगेङण देवदानवसेवितः।’’
वही, 1/41/23, ‘‘द्वीपस्तस्यापरे शतयोजन विस्तृतः।
/41/24, अगम्यो ‘‘मानुषैर्दीप्तस्तं मार्गध्वं समन्ततः तत्र सर्वात्मना सीता मार्गितव्या विशेषतः।’’
महाभारत, 2/29/1-2
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.