मौर्यकालीन व्यापार एवं अर्थव्यवस्था पर एक विवेचना

Authors

  • Divya Parkash

Keywords:

आर्थिक , साम्राज्य , कृषि , उपकरणों

Abstract

आर्थिक दृष्टिं से मौर्य काल को बहुमुखी प्रगति का युग कह सकते हैं। इस काल में न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई बल्कि उद्योग, पशुपालन व्यवसाय, खनिज उत्खनन एवं व्यापार में भी अतीव प्रगति हुई। लोहे के अधिक उपयोग के कारण तकनीकी आधार मिला। मगध साम्राज्य के आसपास लोहे की खाने थीं (वर्तमान दक्षिण बिहार क्षेत्र में) और महत्वपूर्ण जल और स्थल मार्ग पर उसका नियंत्रण था। कह गया है-दक्षिण बिहार के समृद्ध लौह अयस्क तक आसानी से पहुुँच होने की वजह से लोग लोहे के औजारों का अधिकाधिक प्रयोग करते थें। हमें मौर्यकालीन सकोटर कुल्हाड़ियां, हंसिये  और साथ ही हल की फाल मिली हैं। हालांकि अस्त्र-शस्त्रों पर मौर्य-राज्य का अधिकार था, किन्तु अन्य लौह उपकरणों का इस्तेमाल किसी वर्ग  तक सिमित नहीं था। उसका निर्माण और उपयोग गंगा द्रोणी से साम्राज्य के दूरवर्ती भागों में फैला होगा।

References

कौटिल्य का अर्थशास्त्र-जायको पब्लिशिंग हाउस, पृ0 102

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कौटिल्य अर्थशास्त्र-जायको पब्लिशिग हाउस, पृ0 102

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Published

2017-12-31

How to Cite

Parkash, D. (2017). मौर्यकालीन व्यापार एवं अर्थव्यवस्था पर एक विवेचना. Innovative Research Thoughts, 3(11), 245–248. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/361