आधुनिक काल में वैदिक निक्षा की प्रासंनिकता पर एक नववेचिा

Authors

  • Ruby शोधार्थिनी, इतिहास विभाग , चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय, मेरठ
  • डॉ० स्मिता शर्मा रीडर एवं शोध निर्देशिका इतिहास विभाग , चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय, मेरठ

Keywords:

वैदिक, सामानिक, वातावरण

Abstract

शिक्षा हमारी बुद्धि का परिष्कार करने वाली व उसको शोभा प्रदान करने वाली ज्ञान से युक्त एक ऐसी ओषधि है जिससे मनुष्य का जीवन अज्ञान व अविद्या के रोग से मुक्त रहता है व जीवन के उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति में सफल होता है। वेद ज्ञान रहित शिक्षा मनुष्य के जीवन का सर्वांगीण विकास करने में असफल है यह हमने विगत अनुभवों से देखा है। मर्यादा पुरूषोत्तम राम, योगेश्वर कृष्ण, आचार्य चाणक्य व महर्षि दयानन्द पर दृष्टि डालने पर यह तथ्य प्रकट होता है कि इनका निर्माण वैदिक शिक्षा द्वारा ही हुआ था। वैदिक शिक्षा की महत्ता यह है कि इससे मनुष्य को अपने जन्म के कारणों व उद्देश्य का पता चलता है जो कि अन्य किसी भी शिक्षा पद्धति से सम्भव नहीं है। वैदिक शिक्षा पद्धति से शिक्षित व दीक्षित बालक व विद्यार्थी मानव बनता है, दानव नहीं। दानव शब्द का अर्थ गलत व बुरे काम करने वाला मनुष्य कर सकते हैं। यदि वैदिक शिक्षा में शिक्षित व्यक्ति भी कोई गलत काम करता है तो यह उसके अपने अत्यन्त बुरे संस्कारों, सामाजिक वातावरण व पढ़ाने वाले अध्यापकों की अध्यापन क्षमता में कमी के कारण होता है। हम यहां एक आर्य संन्यासी के जीवन का एक उदाहरण देते हैं।

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Published

2017-12-31

How to Cite

Ruby, & शर्मा ड. स. (2017). आधुनिक काल में वैदिक निक्षा की प्रासंनिकता पर एक नववेचिा. Innovative Research Thoughts, 3(11), 233–237. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/359