‘प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक मूल्य‘

Authors

  • Bala S

Keywords:

उपन्यास, सामाजिक

Abstract

मुंषी प्रेमचंद जी हिन्दी युगप्रवर्तक माने ज ाते है उनके सामाजिक यथार्थवादी उपन्यास साहित्य की सबसे समृद्ध धरोहर है। प्रेमचंद जी को साहित्यकारों ने ‘उपन्यास सम्राट‘ की उपाधि से विभूषित किया था। उपन्यास का अर्थ अध्यायों या प्रकरणों में लिखी हुई ऐसी कल्पित और बड़ी आख्यायिका जिसमें अनेक पात्र विस्तृत व सुसम्बद्ध घटनाएं हो। उपन्यास को गुजराती में ‘ नवल कथा‘ मराठी में ‘कादम्बरी‘ और बांग्ला में ‘नावेल‘ कहते है।
साहित्यक रचनाओं में सामाजिक मूल्यों का विषेष महत्व हैं इन मूल्यों के अनुसार चलना व इन्हें निभाना भी एक चुनौती भरा कार्य है। समाज से सम्बन्ध रखने वाला सामाजिक होता है। सामाजिक दो शब्दों के योग से बनता है समाज$इक। इसका अर्थ है- ‘‘समाज से जड़ा हुआ‘‘

References

प्रेमचंद- गोदान उपन्यास

प्रेमचंद- सेवासदन उपन्यास

प्रेमचंद- कर्मभूमि

प्रतियोगिता साहित्य सीरिज- पेज ने0 99, 101, 102

उपकार- (यू.जी.सी. नेट)

इन्टरनेट

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Published

2017-12-31

How to Cite

Bala, S. (2017). ‘प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक मूल्य‘. Innovative Research Thoughts, 3(11), 151–154. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/349