लक्ष्मीकान्त वर्मा: सम्पादकीय एवं पत्र साहित्य में अभिव्यक्त कथात्मक चिन्तनधारा एवं दर्शन का समीक्षात्मक अध्ययन
Keywords:
लक्ष्मीकान्त वर्मा, सम्पादकीय, पत्र, अभिव्यक्त, चिन्तनधाराAbstract
लक्ष्मीकान्त वर्मा के साहित्य में लेखकीय यथार्थ प्रकट हुआ है। इनकी प्रत्येक साहित्यिक विधा यह संकेत देती है कि रचनाकार के लिए जिन्दगी कहानी से बहुत बड़ी है। वर्मा जी की गद्यविधा, कहानी, नाटक, उपन्यास, पत्र-संवाद, सम्पादकीय और पत्र साहित्य विचारों की भीड़-भाड़ में पड़ाव लेकर अग्रगामी हुआ है। इनकी रचनात्मकता ऐसे चरित्रबोध को प्रकट करती है जो अपने विचारों का मूल्य चुकान में विचलित नहीं होते। समीक्षकों ने इन्हें विचारात्मक साहित्य की संक्षा से अभिहित किया है।
लक्ष्मीकांत वर्मा जी लोकमान्य तिलक, महात्मा गाँधी, मोती लाल नेहरू, लाल लाजपत राय, रामबिहारी बोस, सुभाष चन्द्र बोस, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, हकीम अजमल खाँ, आचार्य नरेन्द्र देव, डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद, जमनालाल बजाज, सरोजिनी नायडू, गणेश शंकर विद्यार्थी, पराडकर, सी.वाय. चिन्तामणि, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया और उस युग की ऐसी अनेक विभूतियों के सान्निध्य में रहें।
लक्ष्मीकान्त वर्मा जी पत्रलेखन के लिए विख्यात थे, उनके पत्रों का ऐतिहासिक महत्व है और साहित्यिक महत्व भी है। अपने समय के संघर्ष और युगबोध को इन पत्रों में सजीव अभिव्यक्ति प्राप्त हुई है। जमाने के युग पुरुषों और सामान्य जनों से उनका समान संपर्क था। इस सम्पर्क की अभिव्यक्ति का अपना महत्व है।
References
माखनलाल चतुर्वेदी रचनावली-2, पृष्ठ - 12, सम्पादक श्रीकान्त जोशी।
माखनलाल चतुर्वेदी रचनावली-3, पृष्ठ-12, सम्पादक श्रीकान्त जोशी।,
एक झोपडी वाला (माखनलाल) कर्मवीर, 14 फरवरी, 1920
आधुनिकता: कुछ विचार सूत्र, पृष्ठ 29, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
नये प्रतिमान: पुराने निकष, पृष्ठ 18, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
आधुनिकता: कुछ विचार सूत्र, पृष्ठ 33, लक्ष्मीकान्त वर्मा
साहित्य किसके लिए, पृष्ठ 40, लक्ष्मीकान्त वर्मा
साहित्य में शिव की कल्पना, पृष्ठ 43, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
नया साहित्य: अर्थ संदर्भ, पृष्ठ 45, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
श्लीलता - अश्लीलता: एक विवेचन, पृष्ठ 53-54, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
मानव मूल्यों के सन्दर्भ में लघु-मानव की कल्पना, पृष्ठ 61, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
कवि सत्य: एक दृष्टिकोण, पृष्ठ 84, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
ताजी कविता: कुछ जोड़ बाकी, पृष्ठ 173, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
अनुभूति और बोधमयी, पृष्ठ 173, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
अनुभूति: प्रज्ञा और दृष्टि, पृष्ठ 143, लक्ष्मीकान्त वर्मा।
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