गोविन्द मिश्र के उपन्यासों में चित्रित समाज एवं संस्कृति का स्वरूप: एक विवेचना

Authors

  • सुरेश कुमारी शोध छात्रा हिन्दी विभाग जम्मू विश्वविद्यालय

Keywords:

साक्षात्कार, धर्माधारित, संस्कृति और समाज

Abstract

गोविन्द मिश्र हिंदी के श्रेष्ठतम कथाकारों में से एक हैं। उन्होंने अब तक बारह उपन्यास,  बारह कहानी संग्रह एवं यात्रावृत्तांत, निबंधएवं कविताओं का लेखन कार्यकिया है। उनके महत्त्वपूर्ण उपन्यासों मेंवह अपना चेहरा, धूल पौधों पर, लाल पीली जमीन, पांच आंगनोंवाला घर, तुम्हारी रोशनी में, फूल इमारतें और बंदर, धीर समीर, कोहरे में कैद रंग आदि हैं। गोविन्द मिश्र को साहित्य अकादमी, व्यास सम्मान, एवं सरस्वती सम्मान से सम्मानित कियागया है। भोपाल मेंरहकर वे अनवरत हिंदी साहित्य की सेवा में संलग्न हैं। समाज बहुत कुछ धर्माधारित हुआ करता है। अनेक प्रकार की जातियों एवं समाजों के आपसी मेल-मिलाप के प्रभाव से एक नए तरह का समाज और नई तरह की संस्कृति विकसित होती है। व्यक्ति का सम्बन्ध अपने समाज से होता है। जिस समूह में व्यक्ति पला-बढ़ा होता है उस समाज और संस्कृति से उसका जुड़ाव हुआ करता है। अपने समूह से बाहर निकलकर जब व्यक्ति अन्य समाजों से अपना परिचय बढ़ाता है या अन्य समाज से उसका साक्षात्कार होता है, तो वह अपने और दूसरे की संस्कृति और समाज की तुलना करता है। अपने समाज की खामियों को दूर करते हुए उससे अच्छाई ग्रहण करता है।

References

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कोहरे में कैद रंग: गोविन्द मिश्र, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन नई दिल्ली, प्रथम संस्करण 2004, पृष्ठ संख्या 28

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धीरसमीरे: गोविन्द मिश्र, वाणी प्रकाशन- नई दिल्ली, प्रथम संस्करण-2012, पृष्ठ संख्या-10

धूल पौधों पर: गोविन्द मिश्र, वाणी प्रकाशन- नई दिल्ली, आवृत्ति संस्करण-2014, पृष्ठ संख्या- 15

हुजूर दरबार: गोविन्द मिश्र, किताबघर- नई दिल्ली, प्रथम संस्करण-2011, पृष्ठ संख्या-28

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Published

2017-12-31

How to Cite

कुमारी स. (2017). गोविन्द मिश्र के उपन्यासों में चित्रित समाज एवं संस्कृति का स्वरूप: एक विवेचना. Innovative Research Thoughts, 3(11), 117–122. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/343