भारत में ग्रामीण समाज : एक विवेचना
Keywords:
ग्रामीण समाज, जन-जातीय समाज, कृषक समाजAbstract
भारतीय समाज को मुख्यतः दो भागों मे बााँटा गया है- ग्रामीण समाज तथा नगरीय समाज। प्रत्येक मनुष्य इन दोनों में से ककसी एक प्रकार के समुदाय में वनिास डर करता है। ग्राम और नगर मानि जीिन के दो पहलू हैं। गाांिों का प्रकृवत से प्रत्यक्ष और वनकट का सम्पकक पाया जाता है। जबकक नगरों में कृविमता की प्रधानता होती है। जहााँ मानि और प्रकृवत के बीच अन्तःकिया का रूप अवधक वनकट, प्रत्यक्ष और गहन है, िह ग्राम है और जहााँ इन दोनों के बीच सम्बन्ध अप्रत्यक्ष और क्षीण है, िह नगरीय वथथवत है। इन दोनों के पयाकिरणों में पयाकप्त अन्तर है। यह पयाकिरण सम्बन्धी अन्तर ही दो वभन्न प्रकार के सामावजक जीिन को जन्म देता है।
References
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https://ncert.nic.in/textbook/pdf/lhsy204.pdf
http://www.ijcms2015.co/file/vol-ii-issue-2/AIJRA-VOL-II-ISSUE-2-43.pdf
https://www.egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/30713/1/Unit-3.pdf
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