मौर्य प्रशासन पर एक विवेचना

Authors

  • Vandna Kumari Research Scholar, Department of A.I.& A.S. M.U. , Bodh Gaya
  • Dr. Firoz Alam Lecturer of A.I.& A.S. , Alam Iqbal College , Bihar Sharif, M.U., Bodh Gaya

Keywords:

मौर्य, शासक, अथयशास्त्र

Abstract

मौर्य शासकों ने देिानामवपय्र् की उपावि लेकर मध्र्स्थों की भूवमका कम करने की कोवशश की। िमयशास्त्र के अनुसार राजा केिल िमय का रक्षक होता था, प्रवतपादक नहीं। अथयशास्त्र में राजत्ि की नई अििारणा दी गई है। अथयशास्त्र के अनुसार राजपद व्यवि, चररत्र और मानिीर् व्यिहार से ऊपर होता है। इसी क्रम में चक्रितीं राजा की अििारणा भी लोकवप्रर् होने लगी। अथयशास्त्र में पहली बार चक्रिती शब्द का स्पष्ट प्रर्ोग हुआ है। राज्र् की सप्ाांग विचारिारा भी लोकवप्रर् होने लगी। अथायत् राज्र् के सात अांग हैं- राजा, मांत्री, वमत्र, कर र्ा कोष, सेना, दुगय, भूवम र्ा देश। अथयशास्त्र में इसमें आठिें अांग के रूप में शत्रु को भी जोडा है। कौरिल्र् के अनुसार इनमें सबसे महत्त्िपूणय- राजा है। दूसरी तरफ आचार्य भारद्वाज मांत्री को सियश्रेष्ठ मानते हैं। आचार्य विशालाक्ष देश र्ा भूवम को अविक महत्त्िपूणय मानते हैं। पर पराशर दुगय र्ा कोष (कर) को अविक मानते हैं।

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Published

2017-12-30

How to Cite

Kumari, V., & Alam, D. F. (2017). मौर्य प्रशासन पर एक विवेचना. Innovative Research Thoughts, 3(10), 177–182. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/291