प्रेमचन्द के कथा साहित्य में वर्णित समस्याएं और वर्तमान समाज की समस्याओं की तुलनात्मक अध्ययन

Authors

  • Kumari R

Keywords:

प्रेमचन्द, साहित्य, समाज

Abstract

प्रेमचन्द ने अपने कथा साहित्य अपने युगीन वातावरण को अभिव्यक्त किया हैं। उन्होंने अपने साहित्य में उन मूल समस्याओं को उठाया है जो सैकड़ों वर्षों से हमारे समाज के सम्मुख मुँह खोले खड़ी हुई है। वर्तमान समाज में भी ये समस्याएँ जैसे की तैसी बनी हुई हैं। बस बदलता है तो उनका स्वरूप। प्रेमचन्द के कथा साहित्य का समय पराधीनता का था। लेकिन आज हम आजाद देश में रहते हुए भी इन समस्याओं का सामना प्रतिदिन कर रहे है। इसी को लेकर यह अध्ययन किया गया है।

References

गबन, प्रेमचन्द, हंस प्रकाशन, इलाहाबद।

सेवासदन, प्रेमचन्द, हंस प्रकाशन, इलाहाबाद।

कर्मभूमि प्रेमचन्द, हंस प्रकाशन, इलाहाबाद।

प्रतिनिधि कहानियां, प्रेमचन्द सरस्वती प्रैस नयी दिल्ली।

प्रेमाश्रम, प्रेमचन्द, सरस्वती प्रैस दिल्ली।

दैनिक भास्कर, प्रकाशन, चण्डीगढ़।

गोदान प्रेमचन्द सरस्वती प्रैस इलाहाबाद।

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Published

2017-12-30

How to Cite

Kumari, D. R. (2017). प्रेमचन्द के कथा साहित्य में वर्णित समस्याएं और वर्तमान समाज की समस्याओं की तुलनात्मक अध्ययन. Innovative Research Thoughts, 3(10), 68–72. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/268