दलितो की मनोवैज्ञानिक और व्यक्तिनिष्ठ समस्याये
Keywords:
दलित, मनोवैज्ञानिकAbstract
दलित शब्द का व्यापक रूप से अर्थ पीडित व कुचला हुआ के लिए प्रयुक्त हुआ है। दलिज जीवन का सहज व संक्षिप्त अर्थ है दलितो का जीवन। परन्तु आज के सामाजिक संदर्भ में दलित का अर्थ होगा वह जाति, वह समुदाय जिसको अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था द्वारा कही न कही दबाया गया है, रौंदा गया है, दूषित किया गया है। इस प्रकार दलित वर्ग में वे सभी लोग व जातियाँ शामिल हैं। जो समाज व उच्च वर्ग द्वारा शोषित है। लेकिन कुछ वर्षों से दलित का अर्थ अनुसूचित जाति से लिया जाने लगा है।
References
सदानंद शाही दलित साहित्य की अवधारणा और प्रेमचन्द, पृ. स. 161
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वहीं, पृ. 104
गिरिजकिशेर दलित विमर्श संदर्भ गाँधी, पृ. सं. 29
वही, पृ. सं. 29
सदानंद शाही दलित साहित्य की, अवधारणा और प्रेमचन्द, पृ. सं. 163
गिजिराकिशोर दलित विमर्श संदर्भ गाँधी पृ. सं. 23
वही, पृ. सं. 36
कल्पना गवली प्रेम तथा शैलेस मटियानी की कहानियों में दलित विमर्श, पृ सं. 165