समकालीन नारीवादी उपन्यासकारों द्वारा साहित्य में नारी हवमर्श : एक विवेचना
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समकालीन, उपन्यासकारोंAbstract
वैदिक काल में नारी की स्अथिति त्यन्ि उच्च िी। उस काल में यत्र नायशथिु पूज्यन्िे रमन्िे ित्र देविा की किावि चररिािश िोिी िी। भारिीयों के सभी आदर्श रूप नारी में पाए जािे िे, जैसे सरथविी (हवद्या का आदर्श), लक्ष्मी(धन का आदर्श), दुर्ाश(र्हि का आदर्श), रहि(सौन्दयश का आदर्श) एवं र्ंर्ा(पहवत्रािा का आदर्श) आदद। उस समय नारी को चौंसठ कलाओं की हर्क्षा दी जािी िी। पत्नी के रूप में वे पहिपरायणा िी। युद्धक्षेत्र में पहि संर् र्स्त्र-संचालन भी करिी िी। रि की सारिी बनकर मार्शदर्शन भी करिी िी। सावशजहनक क्षेत्रों में हस्त्रयां र्ास्त्रािश भी करिी िीं। उस काल में पुरुषों का वचशथव िा, लेदकन नारी को भी सम्मान ददया जािा िा।
References
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