लाला छज्जूमल (संस्मरण संग्रह) मेें पात्र कल्पना
Keywords:
छज्जूमल, पात्रAbstract
रूलाला छज्जूमल (संस्मरण संग्रह) में क्रमशः दस उपशीर्षक हैं। चेलाराम शास्त्री, लाला छज्जूमल, गोगी और किच्छी, पुरी साहब, मास्टर बदलूराम, तीन सौ छियासी का कर्ज, भुवा चँदरो, भाई मेहर चंद, बटाला वाले जीजाजी, घर गायब है। इन दस उपशीर्षकों में लेखक ने अपनी 40-45 वर्ष पूर्व की अनुभूतियों को पुनः रेखांकित किया है। उपर्युक्त रूप से लिखे जीवनों ने लेखक को किसी न किसी रूप में अवश्य ही प्रभावित किया है। वह प्रभाव इतना गहरा था कि लेखक जीवन पर्यन्त उसे अपनी याद में सँजोए रहा है। फलतः अवसर आने पर वह प्रभाव संस्मरण बनकर फूट पड़ा है और लेखक ने उसे कलमबद्ध किया है। इसका नामकरण लाला छज्जूमल (संस्मरण संग्रह) किया गया है। उपोद्घात में लेखक ने लिखा है - “ये संस्मरण मेरी अनुभूति की आवाज हैं, परन्तु इनमें से आठ का सम्बन्ध किसी न किसी माध्यम से लाला छज्जूमल से जुड़ जाता है। इसलिए इसका नामकरण सीधा-साधा अभिधेय रूप में ‘लाला छज्जूमल’ (संस्मरण-संग्रह) कर दिया गया है। इस विषय में अधिक सोच-विचार समीचीन नहीं है।
References
डॉ॰ विश्वबन्धु शर्मा: लाला छज्जूमल (संस्मरण संग्रह), उपोद्घात, पृ॰ 1
वही, वही, वही, पृ॰ 1
वही, वही, वही, पृ॰ 1.2
डॉ॰ मारकण्डे आहूजा: लाला छज्जूमल (संस्मरण संग्रह), भूमिका
डॉ॰ विश्वबन्धु शर्मा: लाला छज्जूमल (संस्मरण संग्रह), उपोद्घात, पृ॰ 3
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