कबीर के साहित्य में सामाहिक भेद भाव का हवरोध , नारी के प्रहि दृहिकोण एवं दुर्ुुणों का त्यार् का मित्तव

Authors

  • सीमा

Keywords:

हवरोध, दृहिकोण

Abstract

कबीर हिस युर् में पैदा हुए थे, वि मुहस्लम काल था. वे हिस िुलािा िाहि में पले-बढ़े थे, वि एक दो पीढ़ी पिले मुसलमान िो र्ुकी थी लेककन न केवल कबीर की िुलािा िाहि बहकक हिन्दू समाि की िो भी दहलि िाहियााँ इस्लाम स्वीकार कर र्ुकी थी, उनके पुराने संस्कारों, रीहि ररवािों और धार्मुक- हवश्वासों में अहधक बदलाव निीं आया था. वे िाहियााँ न पूरी िरि हिन्दू थी और न पूरी िरि मुसलमान. स्वयं कबीर की िुलािा िाहि में, िो इस्लाम कबूल करने के पिले नाथपंथी िोर्ी(योर्ी) िाहि थी, नाथ पंथ और िठयोर् की बहुि सारी बािें पिले की िरि सुरहिि थी. हिन्दू-समाि में इस प्रकार की दहलि िाहियों का स्थान बहुि नीर्ा था और ये ऊर्ी िाहियों के भेद-भाव और अन्याय- अत्यार्ार का हिकार थी. इसहलए इनमें सामाहिक असमानिा के प्रहि हवद्रोि का भाव िोना स्वाभाहवक था.

References

कबीर ग्रंथावली –सं० बाबू श्यामसुन्दरदास

कबीर ग्रंथावली –सं० मािा प्रसाद र्ुप्त

संि काव्य –सं० आर्ायु परिुराम र्िुवेदी

कबीर के काव्य में सांप्रदाहयक सद्भाव (लघु-िोध प्रबंध)- रािेन्द्र प्रसाद

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Published

2017-12-30

How to Cite

सीमा. (2017). कबीर के साहित्य में सामाहिक भेद भाव का हवरोध , नारी के प्रहि दृहिकोण एवं दुर्ुुणों का त्यार् का मित्तव. Innovative Research Thoughts, 3(7), 112–115. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/172