आधुनिक कृषि एवं मौसम षवज्ञाि में महाकषव घाघ की कहावतों की प्रासंगिकता
Keywords:
कृषि, मौसम षवज्ञािAbstract
मौसम की घटनाएं अनादि काल से ही पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवधाररयों को प्रभाववत करती हैं। ये घटनाएं वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प तिा वायुराशियों की गततके कारण उत्पन्न होती हैं। इसशलये मौसम और जलवायु कीजानकारी की जरूरत प्राचीनतम कालों से िी। आदिकालमें लोग वर्ाा, सूखा आदि को िैवी घटनाएं समझते िे औरअनुकूल मौसम के शलये प्रािाना तिा अनुष्ठानों में आथिा रखते िे। यह ििा एक िताब्िी पूवा तक भी संसार के हरक्षेत्र में व्याप्त िी। प्राचीनकाल से ही मनुष्य मौसम के संबंधमें पूवाानुमान लगाता चला आ रहा है। इसके संबंध में समय-समय पर अनेक ववद्वानों ने अपने ग्रंिों में वर्ाा एवं मौसम के पूवाानुमान के शलए अनेक शसद्धांत दिए हैं। वर्ा 3000 ई.पूवा के उपतनर्द् में मेघ तनमााण एवं वृस्ष्ट तिा पृथ्वी का सूयाकी पररक्रमा के कारण ऋतु पररवतान का वणान शमलता है।वराहशमदहर की ‘वृहद्संदहता’ में मौसम संबंधी जानकाररयोंका भरपूर वणान है। कौदटल्य के ‘अिािाथत्र’ में वैज्ञातनकढंग से वर्ाामान एवं िेि की अिाव्यवथिा में इसके योगिानका वणान है,
References
घाघ एवं भ्डरी", रामरेि बत्रपाठी, 1931, दहंिुथतान अकािमी।
ववशभन्न क्षेत्रों के ककसानों एवं ग्रामीणों के साक्षात्कार।
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