पंचायती राज संस्था में आरक्षण नीति का अध्ययन

Authors

  • रीतू रानी रिसर्च स्कॉलर, लोक प्रशाशन विभाग NIILM University, Kaithal
  • डॉ. मीनाक्षी सहायक प्राध्यापक, राजनीति विभाग NIILM University, Kaithal

Keywords:

आरक्षण नीति, पंचायती राज, राजनीतिक प्रतिनिधित्व, सामाजिक न्याय

Abstract

भारत में पंचायती राज संस्थाओं की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक शासन को मजबूत करना और समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना था। संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए आरक्षण नीति लागू की गई। इस अध्ययन में पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण नीति के प्रावधानों, उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। अनुसंधान से स्पष्ट होता है कि आरक्षण नीति ने ग्रामीण शासन में हाशिये पर खड़े वर्गों की भागीदारी को बढ़ावा दिया है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हालांकि, इस नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विभिन्न चुनौतियों और समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है। इस शोध का उद्देश्य इन पहलुओं का समग्र मूल्यांकन करना और भविष्य में नीति को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सुझाव प्रस्तुत करना है।

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Published

2024-09-25

How to Cite

रीतू रानी, & डॉ. मीनाक्षी. (2024). पंचायती राज संस्था में आरक्षण नीति का अध्ययन. Innovative Research Thoughts, 10(3), 238–243. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1538