सुमित्रानंदन पंत की कविता में मानवतावाद और आध्यात्मिकता की खोज
Keywords:
सुमित्रानंदन पंत, मानवतावाद, आध्यात्मिकता, हिंदी साहित्य, युगांतAbstract
सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक हैं, जिनकी कविताओं में मानवतावाद और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी काव्य रचनाएँ मानव जीवन के गहन अनुभवों और आध्यात्मिक चिंतन का सजीव चित्रण करती हैं। इस शोध पत्र का उद्देश्य पंत की कविताओं में मानवतावाद और आध्यात्मिकता के तत्वों का विश्लेषण करना है और यह समझना है कि कैसे उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से इन तत्वों की खोज की। पंत की कविताओं में मानवतावाद का चित्रण विभिन्न रूपों में मिलता है। उन्होंने मानवता की महत्ता, मानवीय संवेदनाओं, और सामाजिक न्याय की अवधारणाओं को अपनी कविताओं में प्रमुखता से स्थान दिया है। उनकी रचनाओं में मानव जीवन के प्रति गहरी संवेदना और करुणा की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। 'युगांत' और 'ग्राम्या' जैसी कविताओं में उन्होंने समाज में व्याप्त विषमताओं और अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। आध्यात्मिकता पंत की कविताओं का एक और प्रमुख तत्व है। उनकी कविताओं में आत्मा, ब्रह्मांड, और ईश्वर के बीच के संबंध का गहन अध्ययन मिलता है। 'पल्लव' और 'गुंजन' जैसी कविताओं में पंत ने आध्यात्मिक अनुभवों को व्यक्त करते हुए आत्मा की अनंत यात्रा का वर्णन किया है। उनकी रचनाओं में प्रकृति के विभिन्न रूप, जैसे पर्वत, नदी, और आकाश, आध्यात्मिक प्रतीकों के रूप में प्रस्तुत होते हैं, जो उनके आध्यात्मिक दृष्टिकोण को गहराई से दर्शाते हैं।
References
"सुमित्रानंदन पंत : व्यक्तित्व और कृतित्व", रामजी पाण्डेय, नेशनल पब्लिशिंग हाउस (1982) पृ 75
"महाकवि सुमित्रानंदन पंत : सृजन एवं चिन्तन", सम्पादक, हरिमोहन मालवीय, अनिल कुमार सिंह ; सहायक सम्पादक, हिन्दुस्तानी एकेडेमी (1), (2003), पृ 112
"सुमित्रानंदन पंत की भाषा", उषा दीक्षित., राजपाल एण्ड सन्ज़ (1), 1983, पृ 54
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