माध्यमिक शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने के प्रति निजी व शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों एवं प्राचार्यो के दृष्टिकोण का विश्लेाषणात्मक अध्ययन

Authors

  • समशाद अली शोध छात्र, मेवाड़ विश्वविद्यालय, चित्तौड़गढ़ राजस्थान

Keywords:

माध्यमिक शिक्षा, शिक्षा का इतिहास

Abstract

भारतीय शिक्षा का इतिहास अत्यन्त पुराना है जो प्राचीन शहरी शिक्षा केन्द्रो ‘‘नालन्दा’’ तथा ‘‘ तक्षशिला’’ से शुरू होता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् समय परिवर्तन हुआ तथा भारतीय संविधान का अनुच्छेद 45 नागरिकों को शिक्षा एक मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान करता है। माध्यमिक शिक्षा को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखने के बावजूद भी माध्यमिक शिक्षा सम्बन्धी अनेक समस्याएँ व मुद्दे हैं जिनका समय रहते समाधान करना नितान्त आवश्यक है क्योंकि स्वतन्त्रता के इतने वर्षो पश्चात् आज भी हम शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे हैं। माध्यमिक शिक्षा के मौलिक अधिकार सम्बन्धी तथ्यों को जानने हेतु ही शोधकत्र्री ने उक्त विषय का चयन शोध कार्य हेतु किया है। प्रस्तुत अध्ययन माध्यमिक शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने के प्रति निजी व शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों एवं प्राचार्यो के दृष्टिकोणों के विश्लेषणात्मक अध्ययन से सम्बन्धित है।

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Published

2018-03-30

How to Cite

समशाद अली. (2018). माध्यमिक शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने के प्रति निजी व शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों एवं प्राचार्यो के दृष्टिकोण का विश्लेाषणात्मक अध्ययन. Innovative Research Thoughts, 4(3), 399–408. Retrieved from https://irt.shodhsagar.com/index.php/j/article/view/1359