भारत मे ब्रिटिश शासन का विरोध : एक विवेचना
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भारतवर्ष, व्यापार, प्राचीन कालAbstract
प्राचीन काल से ही भारतवर्ष का विदेशों से व्यापारिक संबंध था । व्यापार स्थल और जल दोनों मार्गों से होता था। इन मार्गों पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए अन्य राष्ट्रों में समय-समय पर संघर्ष हुआ करता था। जब इस्लाम का उदय हुआ और अरब, फारस मिस्र और मध्य एशिया के विविध देशों में इस्लाम का प्रसार हुआ, तब धीरे-धीरे इन मार्गों पर मुसलमानों का अधिकार हो गया और भारत का व्यापार अरब निवासियों के हाथ में चला गया। अफ्रीका के पूर्वी किनारे से लेकर चीन समुद्र तट पर अरब व्यापारियों की कोठियां स्थापित हो गईं। यूरोप में भारत का जो माल जाता था वह इटली के दो नगर जिनेवा और वेनिस से जाता था। ये नगर भारतीय व्यापार से मालामाल हो गए। वे भारत का माल कुस्तुन्तुनिया की मंडी में खरीदते थे। इन नगरों की धन समृद्धि को देखकर यूरोप के अन्य राष्ट्रों को भारतीय व्यापार से लाभ उठाने का भरसक प्रयास किया । बहुत प्राचीन काल से ही यूरोप के लोगों का अनुमान था कि अफ्रीका के रास्ते भारतवर्ष तक समुद्र द्वारा पहूँचने का कोई न कोई मार्ग अवश्य होगा ।
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