साहित्य में स्त्री-दृष्टि
Keywords:
पिछले दशक, जीवनसाथीAbstract
पिछले दशक के सामाजिक उथल-पुथल ने भारत की महिलाओं के लिए एक नया रास्ता निकाला है, बार-बार कसौटी पर चढ़ते संतुलन ने उन्हें नई स्वानुभूति दी है, वे संबंधों को, निभाए जाने वाले धर्म की जगह संवादों के रूप में देखने लगीं है, उनकी क्षुधा शांत नहीं हो रही है, उन्हें अधिक प्रेम, सेक्स, पैसा, इज्जत ही नहीं बल्कि निष्ठा और संवेदनशीलता भी चाहिए, ज्यादातर शहरी स्त्रियों के लिए शादी और मातृत्व को टालते रहना, उनके संबंधों के महत्व पर गौर करने की जरूरत ही दर्शाता है, महिलाएं बताती हैं कि जेलर और जज की मानसिकता रखने वाले जीवनसाथी के साथ सफर तय करना बेहद कठिन है और 55 फीसदी तलाके के मामले हर साल महिलाओं द्वारा ही दायर किए जाते हैं आज एक बेटी के रूप में उसका दायित्व संपत्ति के उत्तराधिकार से कहीं बढ़कर है, बेटी को पिता की ंिचंता को अग्नि देते देखना अब असामान्य बात नहीं है।
References
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वही पृष्ठ संख्या 56।
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