नागार्जुन के काव्य में अन्याय और समाजिक असमानता का विमशर्ः एक अध्ययन
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नागार्जुन, समाजिक असमानताAbstract
नागार्जुन एक महान बौद्ध धर्मवादी और कवि थे, जो अपनी लेखनी से बहुत से लोगों को प्रभावित करते थे। उनकी रचनाएँ धर्म, दार्शनिक विचारों, समाज और राजनीति से संबंधित होती थीं। उन्होंने दलित विमर्श के विषय में भी अपने कविताओं में विस्तार से लिखा है। नागार्जुन के काव्य में दलित विमर्श उनकी एक महत्वपूर्ण विषय था जिसने समाज में अधिक संजाल का निर्माण किया। वे दलितों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए खुले मन से बोलते थे और उन्होंने दलितों को समाज के सामान्य वर्ग से अलग करने वाली वर्ण व्यवस्था के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने यह भी बताया कि दलितों को समाज में समान अधिकार मिलने चाहिए और उन्हें वर्ण व्यवस्था के तहत नहीं दबाया जाना चाहिए।
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